Anna Hazare Hunger Strike 2018 : सरकार से कई मांगो को मनवाने के लिए अन्ना हजारे एक बार फिर अनशन पर बैठे
Anna Hazare Hunger Strike 2018 : सामाजिक कार्यकर्ता और जन आंदोलनकारी नेता अन्ना हजारे एक बार फिर से रामलीला मैदान में अनिश्चिकालीन अनशन पर बैठ गए हैं.
शुक्रवार यानि की 23 मार्च से उन्होंने रामलीला मैदान के मंच से तिरंगा लहरा कर अपने आंदोलन का श्री गणेश किया.
बता दें कि अन्ना हजारे ने इससे पहले 2011 में भी इसी तरह का अनशन किया था जिसने पूरे देश को भ्रष्टाचार के खिलाफ एक साथ खड़ा कर दिया था
2011 के आंदोलन से हिल गई थी सरकार
अन्ना हजारे के 2011 वाले आंदोलन की ललकार ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था. जन लोकपाल विधेयक को पारित कराने के लिये शुरू किए उनके इस अनशन को उस समय देश का पूरा साथ मिला.
लाखों की संख्या में अन्ना के इस मुहीम से जुड़ने के लिए देश के हर कोने से लोग दिल्ली पहुंचे थे.यही वजह थी कि अन्ना की इस बढती लोकप्रियता से उस समय की कांग्रेस सरकार अंदर तक हिल गई थी.
यहां तक की सरकार ने अन्ना को जेल में भी बंद कर दिया था. ऐसा कहा जाता है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार का मुख्य कारण अन्ना हजारे का अनशन ही था.
राजनीति बदलने वाले खुद हुए शिकार
गौरतलब है कि इस आंदोलन में शामिल कई मुख्य कार्यकर्ता अब राजनीतिक पार्टी में आ गए है, इसी में ‘आप’ पार्टी की नींव भी रखी गई थी.
आंदोलन के अहम चेहरे रहे केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, कुमार विश्वास,योगेंद्र कुमार, किरण वेदी और वी.के सिंह सभी इस समय किसी ना किसी राजनीति पार्टी से जुड़े हुए हैं.
राजनीति को बदलने का बीड़ा उठाने वाले ये चेहरे खुद राजनीति के शिकार हो गए यह अन्ना के लिए अक बड़ा झटका है. इसका अंदाजा आप पार्टी को लेकर हो रहे लागातार कंट्रोवर्सी को देखकर आराम से लगाया जा सकता है.
2018 का आंदोलन सियासी नहीं
2018 के आंदोलन को शुरू करने के पहले अन्ना हजारे ने ये पूरी तरह से आश्वस्त कर दिया है कि इस बार के आंदोलन को सियासत से कुछ लेना देना नहीं है. आंदोलन के कार्यकर्ता प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष किसी भी रूप से राजनीतिक पार्टी से नहीं जुड़ेंगे.
अन्ना हजारे ने कहा है कि इस बार आंदोलन में 2011 के आंदोलन का कोई सदस्य नहीं है. नए साथियों की टीम बनी है और सभी ने शपथ पत्र दिया है कि वो किसी राजनीतिक पार्टी से भविष्य में नहीं जुड़ेंगे.
इसके बाद ही उन्हें आंदोलन के साथ काम करने की ड्यूटी दी गई है. गौरतलब है कि अन्ना ने देशभर में घूम-घूमकर 600 कार्यकर्ताओं की टीम तैयार की है जिसमें 20 सदस्यों की एक कोर टीम भी बनाई गई है.
लोकपाल के अलावा 7 अन्य मांगे हैं अन्ना हजारे की
अन्ना हजारे की इस आंदोलन में सशक्त लोकपाल के अलावा 7 अन्य मांगे इस प्रकार हैं.
– किसानों के कृषि उपज की लागत के आधार पर डेढ़ गुना ज्यादा दाम मिले
– खेती पर निर्भर 60 साल से ऊपर उम्र वाले किसानों को प्रतिमाह 5 हजार रुपए पेंशन
– लोकपाल कानून को कमजोर करने वाली धारा 44 और धारा 63 का संशोधन तुरंत रद्द हो
– हर राज्य में सक्षम लोकायुक्त नियुक्त किया जाए
– चुनाव सुधार के लिए सही निर्णय लिया जाए
– कृषि मूल्य आयोग को संवैधानिक दर्जा तथा सम्पूर्ण स्वायत्तता मिले
– लोकपाल विधेयक पारित हो और लोकपाल कानून तुरंत लागू किया जाए
आंदोलन के पहले दिन नहीं दिखी भीड़
अन्ना हजारें के इस बार के आंदोलन में पिछली बार के मुकाबले ज्यादा भीड़ नहीं दिखाई दे रही.
अन्ना की समन्वय समिति के सदस्य जयकांत मिश्रा ने बताया कि शुक्रवार को कामकाज का दिन है इस वजह से काफी लोग नहीं आए हैं. लेकिन शनिवार और रविवार को भारी संख्या में लोग जुट रहे हैं.
देश के कई हिस्सों से अन्ना के समर्थक रामलीला मैदन को कूच कर गए हैं एक-दो दिन में इसका असर देखने को मिलेगा.
उन्होंने यह भी बताया कि शुक्रवार को दिल्ली आने वाली अन्ना समर्थकों की कई ट्रेनें रद्द कर दी गईं अब जनता अपने साधन या बसों के माध्यम से दिल्ली पहुंच रही है.
हालांकि अब यह भी देखना दिलचस्प होगा कि अन्ना हजारे के इस बार के आंदोलन से भारत की राजनीतिक व्यवस्था पर क्या फर्क पड़ता है.