
RamSetu : साइंस चैनल ने किया वीडियो ट्वीट
RamSetu : हिंदुओं के आस्था का विशाल केंद्र कहे जाने वाले रामसेतु को अब अंतराष्ट्रीय वैज्ञानिकों द्वारा भी मान्यता मिल गई है.
सालों से बहस का मुख्य केंद्र रहा तमिलनाडु के रामेश्वरम स्थित रामसेतु एक बार फिर अब चर्चा का विषय बन गया है.
इस सेतु के निर्माण को लेकर एक तरफ जहां हिंदुओं की मान्यता है कि ये भगवान राम द्वारा बनाया गया वो पुल(सेतु) है जिसे उन्होंने रावण तक पहुंचने के लिए बनाया था जिसका जिक्र रामचरितमानस या रामायण में भी किया गया है.
वहीं कुछ लोग इसे केवल समुद्र में दिखने वाली पत्थरों की एक रेखा मानते हैं.
Are the ancient Hindu myths of a land bridge connecting India and Sri Lanka true? Scientific analysis suggests they are. #WhatonEarth pic.twitter.com/EKcoGzlEET
— Science Channel (@ScienceChannel) December 11, 2017
वैज्ञानिकों ने माना रामसेतु प्राकृतिक नहीं
विज्ञान के भिन्न खोजों के बारे में बताने वाले इंटनेशनल साइंस चैनल ने सोमवार को अपने ट्वीटर अकाउंट पर भूवैज्ञानिकों द्वारा रामसेतु पर किए गए खोज का एक प्रोमो वीडियो ट्वीट किया है, जो भारत समेत पूरी दुनिया में तेजी से वायरल हो रहा है.
इस वीडियो में कुछ भूवैज्ञानिक ये दावा करते दिख रहे हैं कि रामसेतु पर पाए जाने वाला पत्थर विल्कुल अलग और काफी प्राचीन हैं.
प्रोमो वीडियो में दिखने वाले मशहूर भूवैज्ञानिक ऐलेन लेस्टर कह रहें है कि हिंदू धार्मिक ग्रंथ रामचरितमानस में भगवान राम द्वारा ऐसे ही एक सेतु के निर्माण का जिक्र किया गया है.
जिस पर शोध करने पर पता चला कि समुद्र की बालुई धरातल पर मौजूद ये पत्थर कहीं और से लाए गए हैं, हालांकि ये पत्थर कहां से और कैसे आए हैं यह आज भी एक रहस्य है.
वहीं पुरातत्वविद चेल्सी रोज का मानना है कि उनकी खोज में यह पता चला कि इन पत्थरों की उम्र करीब 7000 साल है. जबकि जिस बालुई धरातल पर ये मौजूद हैं वह महज 4000 साल पुराना है.
चैनल के वीडियो में वैज्ञानिकों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यह ढांचा प्राकृतिक नहीं हैं , बल्कि इसे बनाया गया है.
वहीं कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इसकी उम्र 5000 साल पुरानी है और उस समय इस तरह के विशालकाय पुल का निर्माण किसी साधारण मनुष्य के दावारा नहीं किया जा सकता था.
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इस वजह से खास है राम सेतु
रामसेतु भारत के दक्षिण-पूर्व स्थित तमिलनाडु के रामेश्वर द्वीप और श्रीलंका के पूर्वोत्तर में मन्नार द्वीप के बीच चूने की उथली चट्टानों की एक चेन है.
हिन्दू पुराणों की मान्यताओं के अनुसार इस सेतु का निर्माण अयोध्या के राजा प्रभु श्रीराम की सेना के दो सैनिक नल और नील द्वारा शुरू कराया गया था.
इस पुल की लंबाई 48 किलोमीटर है और ये मन्नार की खाड़ी (दक्षिण पश्चिम) को पाक जलडमरूमध्य (उत्तर पूर्व) से अलग करता है. इस पुल को पूरी दुनिया में एडम्स ब्रिज (आदम का पुल) के नाम से भी जाना जाता है.
इस इलाके में समुद्र काफी उथला हुआ है. जिसके चलते जहाजों की आवाजाही इस क्षेत्र में मुमकिन नहीं है. समुद्र के अंदर इन चट्टानों की गहराई सिर्फ 3 फुट से लेकर 30 फुट के बीच है.
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