
Mohammad Rafi Birthday Special : मिल चुका है पद्मश्री अवार्ड
Mohammad Rafi Birthday Special : आवाज की दुनिया के बेताज बादशाह और भारत के सबसे बेहतरीन गायकों में एक मोहम्मद रफी साहब का आज 93वां जन्मदिन है.
भारत में शायद ही कोई होगा जो उनकी आवाज को ना पहचानता हो. सालों बाद भी वह अपनी आवाज से लोगों के दिलों पर राज कर रहे हैं. इसी वजह से आज उनके जन्मदिन के मौके पर गूगल ने एक खास डूडल बनाकर उनको समर्पित किया है.
इस डूडल को बनाने वाले मुंबई के इलेस्ट्यूटर साजिद शेख हैं. साजिद ने अपने डूडल में रफी साहब को स्टूडियो में किसी गाने की रिकॉर्डिंग करते दिखाया है . जबकि चित्र में दूसरी तरफ पर्दे पर उसे हीरो-हीरोइन दोहरा रहे हैं.
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फकीर से सिखा गायन
मोहम्मद रफी का जन्म 24 दिसंबर 1924 को अमृतसर के कोटला सुल्तान सिंह गांव में हुआ था. कुछ समय बाद रफी साहब के पिता अपने परिवार के साथ अमृतसर से लाहौर आकर बस गए.
रफी साहब के बड़ भाई की नाई की दुकान थी , और इसी दुकान में मोहम्मद रफी का ज्यादातर समय बीतता था.
रफी साहब की उम्र जब 7 साल की थी तो वो अपनी दुकान के सामने से गाना गाते हुए गुजरने वाले फकीर का पीछा करते थे, और फकीर के गाए हुए गीतों को गुनगुाते रहते थे. और यहीं से रफी साहब के अंदर का गायकार निकला जो आगे चलकर देश ही नहीं दुनिया के कई हिस्सों में अपनी सुरमई आवाज से सभी को प्रभावित किया .
गौरतलब है कि साल 1949 में दुलारी फिल्म के गाने ‘सुहानी रात ढल चुकी‘ के जरिए रफी साहब को पहचान मिली थी.
बॉलीवुड के प्ररेणादायक सिंगर हैं रफी
सोनू निगम, मुहम्मद अज़ीज़ और उदित नारायण जैसे मशहूर सिंगर महोम्मद रफी से खासा प्रभावित हैं.
रफी साहब ने गुरु दत्त, दिलीप कुमार, देव आनंद, भारत भूषण, जॉनी वॉकर, जॉय मुखर्जी, शम्मी कपूर, राजेन्द्र कुमार, राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन, धर्मेन्द्र, जीतेन्द्र, ऋषि कपूर और किशोर कुमार जैसे सुपरस्टारों पर फिल्माए गए गानों को अपनी आवाज दे चुके है.
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6 बार मिल चुका है फिल्मफेयर
आपको बता दें कि आवाज के जादूगर मोहम्मद रफी ने लगभग 700 फिल्मों में 26,000 से भी ज़्यादा गाने गाए हैं. रफी साहब ने हिंदी के अलावा कई अंग्रेज़ी और अन्य यूरोपीय भाषाओं में भी गाने गाए हैं. अपने बेहतरीन गानों के लिए उन्हें छह बार फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है और साथ ही भारत सरकार द्वारा वर्ष 1965 में उन्हें पद्मश्री अवार्ड से भी नवाजा गया .
मौत के कुछ वक्त पहले तक रिकार्ड किया गाना
मोहम्मद रफी की 1 जुलाई 1980 को हार्ट अटैक आने की वजह से मृत्यु हो गई थी. उस वक्त उनकी उम्र 55 साल थी. उनका आखिरी गाना ‘श्याम फिर क्यों उदास है दोस्त/ तू कंही आस पास है दोस्त‘ था जिसे उन्होंने अपने मरने से कुछ वक्त पहले ही रिकॉर्ड किया था.
उदारवादी था रफी का चरित्र
आज के युवा भी रफी साहब के गानों के दीवाने हैं. यह उनकी आवाज की जादू का ही असर है कि उनका गाया गाना गुलाबी आंखे सबसे ज्यादा रिमिक्स किया हुआ गाना है.
मोहम्मद रफी को बॉलीवुड में सब दयालु सिंगर कह कर पुकारते थे, क्योंकि वो गाने के लिए कभी भी फीस का जिक्र नहीं करते थे और कभी कभी तो मेहनतनामा के तौर पर 1 रुपये में भी गीत गा दिया करते थे.
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